वापसी

  •  वापसी
short story


वानी रेलवे स्टेशन पर बैठे बैठे रोहित का इंतजार कर रही थी। वो उसे कई मेसेज , कॉल कर चुकी थी लेकिन रोहित की तरफ से कोई जवाब नहीं आया था
उसकी आंखो से आसू लगातार बह रहे थे। उसे कुछ कुछ  अंदाजा तो हो गया था रोहित के रिप्लाइ ना देने का पर कमबख्त दिल ये मानने को तैयार ना था।
वो  आंखे बन्द कर के एक गहरी सास लेती  है, उसके मन में वही सब चल रहा था जो कुछ एक घंटे पहले हुआ...

अभय( वानी के पिता)- ये क्या है वानी इतने खराब मार्क्स . ये बोर्ड का साल था तुम्हारा और तुम ये मार्क्स लाई हो , इससे कहा एडमिशन मिलेगा तुम्हे ,क्या करोगी तुम, क्या करना चाहती हो बताओ मुझे
" मैं कर लूंगी पापा मुझे जो भी करना होगा आप फिक्र मत लो मेरी"  - वानी ने उनकी बातों को नजरंदाज करते हुए कहा
अभय - मैं फिक्र ना करू ...सच में वानी?😟😕  मेरी बात सुनो वानी मै तुम्हे तुम्हारे विनय अंकल के पास भेज रहा हूं उनसे बात कर ली है मैने , वहा के कॉलेज में तुम्हारा एडमिशन करवा देंगे वो। और मुझे रिज़ल्ट अच्छा चाहिए वहा का। ठीक है?
वानी - मै कही नही जाऊंगी पापा । मैं यही रहूंगी बस
अभय - जाना तो तुम्हे पड़ेगा वानी

वानी गुस्से में फूलते हुए अपने कमरे में चली जाती है और दरवाजा बन्द कर लेती है।

बहुत हो गया ये जब देखी मुजपे चिल्लाते रहते है अपनी मर्जी चलाते है। मैं नहीं रहने वाली अब यहां " वानी गुस्से में बड़बड़ाते हुए किसी को फोन लगती है।
फोन पर
वानी  - हलो! रोहित 
रोहित - हाय वानी ! कैसी ही
वानी - रोहित क्या तुम मुझसे प्यार करते हो?
रोहित - अरे  क्या हुआ इतने गुस्से में क्यों हो
वानी - जवाब दो रोहित  करते हो या नहीं?
रोहित - हा.. हा करता हूं ना! तुम्हे तो पता है
वानी - तो बस रेलवे स्टेशन पर मिलो मुझे । हम यहां से जा रहे है 
रोहित - अरे ऐसे जैसे जा सकते है 
वानी - क्यों नहीं जा सकते 
रोहित - पागल मत बनो वानी ! मेरी फैमिली है कॉलेज है 
वानी - मै भी तो अपनी फैमिली छोड़ कर आ रही हूं। तुम नहीं छोड़ सकते क्या?
रोहित - तुम पागल हो गई हो
वानी - मुझे कुछ नहीं पता बस मुझे वहा मिलो
इतना कह के वो फोन रख देती है और अपना पर्स ले कर निकल जाती है ।

वानी पिछले एक घंटे से रोहित के इंतजार में बैठी थी पर उसका कुछ पता नहीं था 
वो अपने आंसू पूछती है और फोन ले के एक मेसेज  करती है ।
"गुड  बाय रोहित" 

और अपना पर्स ले के वापस घर जाती है ।
वो सीधे अपने पिता के कमरे में जाती है
" अरे तुम आ गई  चलो कुछ खा लो तुमने खाना भी नहीं खाया था ।  और मुझे माफ़ कर दो बेटा मै ज्यादा गुस्सा हो गया था ना तुम पर, पर मैं जो भी कर रहा हूं तुम्हारी भलाई के लिए कर रहा हूं बेटा। मैं तुम्हारी भलाई ही चाहता हूं।
वानी उनकी बाते सुन कर चुप थी फिर कुछ देर बाद वो  अपने पिता के गले से लिपट गई  मानो अपना सारा दुख दूर करना चाह रही हो
वानी - मुझे माफ़ कर  दो पापा । मै समझ गई की आप सब मेरे लिए ही कर रहे थे , आप जैसा चाहेंगे मै वैसा ही करूंगी , मै आपको एक अच्छी बेटी बन के दिखाऊंगी पापा
उनकी भी आंखे भर आती है वानी की बाते सुन कर , वो बस वानी के सिर पर हाथ फेरते है । 


वानी उस घर में सालो से रह रही थी पर असल मायनों में यही उसकी असली वापसी थी... वापसी अपने घर की, वापसी अपने पिता की तरफ। 


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